पानीपत।
केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है और इसमें महत्वपूर्ण बदलाव किया है। सरकार ने स्कूलों में नो डिटेंशन पालिसी (No Detention Policy) को समाप्त कर दिया है। इससे अब पांचवीं से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को फेल होने के बाद पहले की तरह अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। वैसे अब उनको फेल होने पर दो माह के अंदर एक औेर परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। इसमें फेल होने के बाद अगली कक्षा में प्रोन्नति नहीं मिलेगा और पास होने वाले विद्यार्थियों को प्रमोट कर दिया जाएगा।
बता दें कि नो डिटेंशन पालिसी के तहत पहले पांचवीं से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को फेल होने के बावजूद अगली कक्षाओं में प्रमोट कर दिया जाता था। यह पालिसी 2010 सत्र से लागू थी। विशेषज्ञों का कहना था कि इस नीति के कारण स्कूली शिक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा था। इससे 10वीं और 12वीं कक्षाओं के परिणाम पर भी असर दिख रहा था। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत जब इसे लागू किया गया था तो इस कदम की प्रशंसा के साथ कई विशेषज्ञों ने सवाल भी उठाए थे। इन विशेषज्ञाें का कहना था कि इसका उच्च शिक्षा का स्तर गिरेगा। यह काफी हद तक दिखा भी। हरियाणा में शिक्षा बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं का परिणाम आशा के विपरीत आने का इसे भी बड़ा कारण माना जाता रहा है।
केंद्र सरकार के इस कदम का असर केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों पर पड़ेगा। देश के 16 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों दिल्ली व पुंडुचेरी में पहले नो डिटेंशन पालिसी को खत्म कर दिया गया था। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि शिक्षा राज्यों का विषय है। अतएव अपने यहां इस नीति के बारे में निर्णय संबंधित राज्य सरकारें ही कर सकती हैं।
कई शिक्षक और अभिभावक संगठनों ने इस कदम की सराहना की है और इसका स्वागत किया है। शिक्षाविदों का कहना है कि नो डिटेंशन पालिसी को खत्म करने का स्कूली शिक्षा के साथ साथ और उच्च शिक्षा पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही अब स्कूलों का दायित्व भी बढ़ गया है और शिक्षकों को बच्चों की प्रगति का विशेष ध्यान रखना होगा। जिन राज्य सरकारों ने अपने यहां इस नीति को जारी रखा हुआ है, अब उनको भी इसे समाप्त कर देना चाहिए।