हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, प्रभारी के बाद अब हट सकते हैं प्रदेश अध्‍यक्ष, रेस में तीन नेता

हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, प्रभारी के बाद अब हट सकते हैं प्रदेश अध्‍यक्ष, रेस में तीन नेता
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Sateek Samachar, चंडीगढ़।

हरियाणा कांग्रेस (Haryana Congress) के प्रभारी को बदलने के बाद एक और बड़े परिवर्तन की तैयारी है। दो दिन पहले दीपक बाबरिया को हटाकर बीके हरिप्रसाद को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था। अब संकेत हैं कि पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष चौधरी उदयभान को बदला जा सकता है।

नए प्रदेश प्रधान के लिए तीन बड़े नेता रेस में बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस विधायक दल के नेता पद को लेकर भी जल्‍द ही निर्णय हो सकता है। पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda)या उनके किसी करीबी नेता को हरियाणा कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है। कांग्रेस विधायक दल का नेता विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होगा।

चौधरी उदयभान की जगह नया प्रदेश अध्‍यक्ष नियुक्‍त करने की तैयारी

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में कांग्रेस की हार के बाद राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व ने अब कदम उठाना शुरू किया है। इसके तहत दो दिन पहले दीपक बा‍बरिया की हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी पद से छुट्टी की गई। इसके बाद हरियाणा कांग्रेस के अध्‍यक्ष चौधरी उदयभान को हटाने की तैयारी है।

नए अध्‍यक्ष की दौड़ में सुरजेवाला, गीता भुक्‍कल और अशोक अरोड़ा

नए अध्‍यक्ष पद के लिए दौड़ में तीन नेता प्रमुख रूप से शामिल हैं। यह हैं रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala), पूर्व मंत्री गीता भुक्‍कल और पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा। बताया जाता है कि पार्टी द्वारा नए अध्‍यक्ष पद के लिए एक पैनल भी तैयार किया गया है। इनमें सुरजेवाला, भुक्‍कल और अरोड़ा के अलावा सांसद वरुण चौधरी और राव दान सिंह के नाम शामिल हैं।

10 वर्ष से हरियाणा में कांग्रेस का संगठन नहीं

कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि हरियाणा कांग्रेस में इसके अलावा कई और बदलाव होंगे। इसके साथ ही राज्‍य में पार्टी का संगठन भी जल्‍द तैयार किया जाएगा। बता दें कि हरियाणा में 10 साल से अधिक समय से कांग्रेस का सांगठनिक ढ़ांचा नहीं है। इसको लेकर कई बार हलचल हुई, लेकिन वरिष्‍ठ नेताओं में खींचतान के कारण यह संभव नहीं हो पाया। इस दौरान प्रदेश प्रभारी और अध्‍यक्ष पद पर कई बदलाव हो चुके हैं।

चुनावों के दौरान पार्टी में रही गुटबाजी

हरियाणा में कांग्रेस में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान गुटबाजी हावी रही। कांग्रेस के कई नेताओं का मानना है कि बाबरिया और उदयभान इस पर काबू पाने में विफल रहे। उदयभान को पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिं‍ह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं। चुनावों में टिकट वितरण को लेकर काफी सवाल उठाए गए थे। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन भाजपा ने शानदार जीत दर्ज कर राज्‍य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई।

नए अध्‍यक्ष पद के लिए जोड़ तोड़

नए अध्‍यक्ष पद के लिए जोड़तोड़ भी शुरू हो गई है। रणदीप सुरजेवाला को सांसद कुमारी सैलजा और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह का समर्थन है। उनके पक्ष में हुड्डा विरोधी खेमा जुट गया है। दूसरी ओर, अशोक अराेड़ा, गीता भुक्‍कल, राव दान सिंह और वरुण चौधरी को भूपेंद्र सिंह हुड्डा का करीबी समझा जाता है।

नए अध्‍यक्ष पद के लिए ये हैं फार्मूले

नए अध्‍यक्ष पद के लिए कई फार्मूला हो सकते हैं। अब तक अधिकतर अवसरों पर यदि विधायक दल का नेता कोई जाट लीडर होता है तो प्रदेश अध्‍यक्ष पद की कमान किसी अनुसूचित जाति के नेता को दी जाती है। हुड्डा के मुख्‍यमंत्री रहते फूलचंद मुलाना प्रदेश अध्‍यक्ष थे। बाद में इसी फार्मूले के तहत डा. अशोक तंवर, कुमारी सैलजा और उदयभान हरियाणा कांग्रेस के अध्‍यक्ष बनाए गए। ऐसे में माना जा रहा है कि यदि कोई जाट नेता प्रदेश प्रधान बना तो विधायक दल का नेता कोई गैर जाट या दलित नेता होगा। जाट नेता विधायक दल का नेता बना तो कोई गैर जाट लीडर प्रदेश प्रधान बनेगा।

रणदीप सुरजेवाला को हरियाणा कांग्रेस का अध्‍यक्ष बनाया जाता है तो हुड्डा की जगह किसी गैर जाट नेता को विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है। इसके लिए हुड्डा गुट के किसी विधायक को यह जिम्‍मेदारी मिल सकती है। वर्तमान अध्‍यक्ष उदयभान अनुसूचित जाति से हैं तो ऐसे में हुड्डा गुट की ओर से गीता भुक्‍कल और वरुण चौधरी के नाम लिए जा रहे हैं।

तीसरे फार्मूले के तहत पार्टी का नया अध्‍यक्ष जाट या अनुसूचित जाति से अलग वर्ग के नेता को बनाने की बात भी की जा रही है। इसके लिए ओबीसी से राव दान सिंह का नाम आगे किया जा सकता है। इससे दक्षिण हरियाणा में कांग्रेस की पकड़ मजबूत करने का तर्क भी दिया जा रहा है।

इसके अतिरिक्‍त अनुभवी नेता डा. अशोक अरोड़ा को भी नए अध्‍यक्ष पद के लिए प्रमुख दावेदारों में माना जा रहा है। डा. अरोड़ा पंजाबी समुदाय से हैं और राज्‍य के अनुभवी नेताओं में शामिल हैं। वह इनेलो के प्रदेश प्रधान भी रह चुके हैं।

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