रविचंद्रन अश्विन के संन्‍यास से उठे बड़े सवाल

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भारत के अब तक के सर्वश्रेष्ठ स्पिन ऑलराउंडर रविचंद्रन अश्विन अब टीम इंडिया की ओर से क्रिकेट मैदान में नजर नहीं आएंगे। अश्विन ने जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है उससे कई सवाल उठाते हैं। इस बारे में टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा का बयान भी काफी कुछ इशारा करता है। रोहित शर्मा का यह कहना कि अश्विन पर्थ मैं ही संन्यास की घोषणा करना चाहते थे लेकिन अनुरोध के बाद वह पिंक बॉल टेस्ट तक रुक गए थे।

सवाल उठता है कि यदि अश्विन पिंक बॉल टेस्ट के बाद सन्यास लेना चाहते थे तो उन्होंने इसकी घोषणा एडिलेड में इस मैच के बाद ही क्यों नहीं कर दी और और ब्रिस्बेन टेस्ट मैच तक क्यों रुक गए। वह इस सीरीज के अंत में संन्यास की घोषणा कर सकते थे क्योंकि अब ऑस्ट्रेलिया इस सीरीज के बाकी बचे दो टेस्ट मैच मेलबर्न और सिडनी में होंगे। इन दोनों में स्पिनरों को मददगार पिच होती है। अश्विन ने जिस तरह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहां है वह टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम के माहौल को लेकर भी सवाल उठाया है।

दरअसल गौतम गंभीर को जब से हेड कोच बनाया गया है टीम इंडिया के बीच के अंदर माहौल को लेकर कई तरह की चर्चाएं होती रही हैं। अश्विन का इस तरह संन्यास लेना इन चर्चाओं को और बल देता है। अश्विन 2011 से भारत के लिए टेस्ट मैच खेलते रहे हैं और उनको जब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के लिए टीम में चुना गया तो यह आश्वासन तो नहीं दिया गया होगा कि उनको हर बार प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जाएगा।

ऐसे में क्या कहना बेतुका है की प्लेइंग इलेवन में न चुने जाने कि की संभावना के कारण उन्होंने सीरीज के अंतिम दो टेस्ट में से पहले ही अचानक संन्यास लेने का फैसला किया। अश्विन ने अपने पिछले दो सीरीज यानी पांच टेस्ट मैचों में 20 विकेट लिए थे, बांग्लादेश के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज में उन्होंने 11 विकेट लिए थे और चेन्नई में शतक भी बनाया था। इस श्रृंखला में वह मैन ऑफ टूर्नामेंट रहे थे। न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन टेस्टों के सीरीज में वह 9 विकेट ही ले पाए थे। इस सीरीज में टीम इंडिया को 3-0 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था।

यदि रविचंद्रन अश्विन को इसी तरह विदा करना था तो उनको ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुनने का क्या मतलब था। इसका जवाब ऑस्ट्रेलिया में मौजूद बीसीसीआई चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर और कोच गौतम गंभीर को जरूर देना चाहिए। केएल राहुल के साथ पिछले दिनों जिस तरह का खेल होता रहा और उनको कभी आगे कभी पीछे किया जाते रहा, फिर टीम से बाहर का रास्ता दिखाएगा वह भी सामने है।

रोहित शर्मा यदि पहले टेस्ट मैच से उपलब्ध होते तो शायद केएल राहुल को इस सीरीज में मौका नहीं मिलता। उन्होंने पर्थ के मुश्किल विकेट पर अपनी शानदार बल्लेबाजी से रोहित शर्मा के लिए फिर से ओपनिंग स्लॉट में वापसी मुश्किल कर दी है। वस्तुत: भारतीय क्रिकेट में एक ही खींचतान स्पष्ट तौर पर दिख रहा है, यह खिलाड़ियों प्रभारी न पड़ता दिख रहा है। अश्विन की विदाई को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा सकता था लेकिन गौतम गंभीर ऐसा नहीं कर पाए। गंभीर को जिस तरह से टीम इंडिया से किनारा किया गया था ऐसे में उनसे उम्मीद थी वह किसी शानदार खिलाड़ी के साथ ऐसा न होने देते। उम्मीद की जानी चाहिए कि अश्विन के सन्यास का इस सीरीज के अंतिम दो मैचों में टीम इंडिया के प्रदर्शन पर विपरीत असर नहीं पड़ेगा।

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