Steek Samachar, चंडीगढ़ । कर्मचारियों का तबादला करने की शक्ति मांगने वाले हरियाणा के मंत्रियों को बड़ा झटका लगा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंत्रियों की तबादले का अधिकार देने से इन्कार कर दिया है। सैनी ने कहा कि राज्य में कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए पहले से ही आनलाइन व्यवस्था चल रही है। ऐसे में तबादले का अधिकार किसे दिया जा सकता है।
सैनी ने पंचकूला में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य में कर्मचारियों के तबादले आनलाइन होते हैं। ऐसे में तबादले के लिए आनलाइन आवेदन ही दिए जाने चाहिए। इसमें आफलाइन प्रक्रिया का कोई मतलब नहीं। यदि किसी कर्मचारी को आनलाइन आवेदन करने में समस्या होती है तो वह संबंधित जिलों में डीसी (जिला उपायुक्त) के नेतृत्व में बनी कमेटी को अपना आवेदन दे सकता है।
बता दें कि हरियाणा के मंत्री ग्रुप डी के कर्मचारियों के तबादले की पावर मांग रहे हैं। मंत्रियों का कहना है कि तबादले का अधिकार नहीं होने के कारण अधिकारी हावी रहते हैं और इससे उनकी मजबूत पकड़ नहीं बन पाती है। मंत्रियों ने फिलहाल ग्रुप डी के कर्मचारियों के तबादले का पावर मांगा था। माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री सैनी इस बारे में आलाकमान से विचार विमर्श करने के बाद निर्णय करेंगे, लेकिन सीएम ने इस तरह का अधिकार मंत्रियों को देने की संभावना को खारिज कर दिया है।
बता दें कि हरियाणा में मंत्रियों को ट्रांसफर का कोई अधिकार नहीं है। वे ग्रुप डी के कर्मचारियों का भी तबादला नहीं कर सकते हैं। राज्य में सभी स्थानांतरण मुख्यमंत्री कार्यालय से होते हैं।
हरियाणा में मंत्रियों को तबादले का अधिकार देने का मामला पुराना है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनोहरलाल के मुख्यमंत्रित्व काल में भी यह मुद्दा उठा था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के समय मंत्रियों को ग्रुप डी के कर्मचारियों के तबादले का पावर मिला था, लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया गया था। मनोहर लाल सरकार के समय मंत्रियों को एक-एक माह के लिए तबादले का अधिकार दिया गया था, हालांकि बाद में इसे समाप्त कर दिया गया था।